मध्यप्रदेश को भारत का हृदय प्रदेश और जनजातीय राज्य कहा जाता है। यहाँ भारत की सबसे बड़ी जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। लगभग 21% आबादी अनुसूचित जनजातियों की है। ये जनजातियाँ अपनी परंपरा, बोली, संस्कृति और जीवनशैली के कारण विशिष्ट पहचान रखती हैं।
मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्तार
- जनजातीय जनसंख्या –
- भारत की कुल जनजातीय जनसंख्या का लगभग 14% हिस्सा मध्यप्रदेश में है।
- यहाँ कुल 46 अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं।
- मुख्य जनजातियाँ और उनके क्षेत्र –
- भील – झाबुआ, अलीराजपुर, धार, खरगोन, बड़वानी
- गोंड – मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, उमरिया, शहडोल
- बैगा – मंडला, डिंडोरी, बालाघाट
- कोरकू – बैतूल, खंडवा, हरदा
- सहरिया – श्योपुर, शिवपुरी, गुना, मुरैना
- कोल – रीवा, सतना, सिंगरौली
- भारिया – पचमढ़ी क्षेत्र (सतपुड़ा)
- पारधी – मध्यप्रदेश के पश्चिमी हिस्से
- जनजातीय बहुल जिले –
- झाबुआ, अलीराजपुर, मंडला, डिंडोरी, श्योपुर, बैतूल, खरगोन, धार, बालाघाट, सिवनी।
याद रखने की ट्रिक –
“भी-गों-बै-को-सह-कोल-भा”
- भील – पश्चिम
- गोंड – मध्य/पूर्व
- बैगा – डिंडोरी
- कोरकू – बैतूल
- सहरिया – श्योपुर
- कोल – रीवा
- भारिया – पचमढ़ी
संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 15(4) – सामाजिक और शैक्षिक पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति/जनजाति के शैक्षिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा।
- अनुच्छेद 244 –
- पाँचवीं अनुसूची → अनुसूचित क्षेत्र
- छठवीं अनुसूची → जनजातीय क्षेत्र
- अनुच्छेद 330-342 –
- 330 → लोकसभा में आरक्षण
- 332 → विधानसभा में आरक्षण
- 335 → सेवाओं में दावा
- 342 → अनुसूचित जनजातियों की सूची
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) अधिनियम, 1996 – PESA Act → आदिवासी स्वशासन।
- अनुच्छेद 338A – राष्ट्रीय जनजाति आयोग का गठन।
- अनुच्छेद 371 – विशेष प्रावधान (नागालैंड, मणिपुर आदि राज्यों में लागू, लेकिन MP के लिए संदर्भ महत्वपूर्ण)।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- मध्यप्रदेश में दो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) हैं → बैगा और भारिया।
- जनजातीय संग्रहालय (Tribal Museum) → भोपाल में स्थित।
- जनजातीय लोक कला और संस्कृति अकादमी → भोपाल।
- सहरिया जनजाति को मध्यप्रदेश की सबसे पिछड़ी जनजाति माना जाता है।
- भील जनजाति को “भारत का अर्धसैनिक बल” कहा जाता था (ऐतिहासिक कारणों से)।
- गोंड जनजाति की सबसे बड़ी उपजाति है → रजगोंड।
- बैगा जनजाति को “जंगल का बेटा” कहा जाता है।
- जनजातीय अंचलों में राज्य सरकार द्वारा “वनबंधु कल्याण योजना” और “जनजातीय उपयोजना (TSP)” लागू की जाती है।
मध्यप्रदेश की पहचान उसकी जनजातीय विविधता और संवैधानिक सुरक्षा से जुड़ी हुई है। यहाँ की जनजातियाँ न केवल अपनी संस्कृति की संरक्षक हैं, बल्कि प्रदेश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं। MPPSC जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं में यह टॉपिक बार-बार पूछा जाता है, इसलिए इसकी तैयारी बेहद जरूरी है।